Tuesday, November 24, 2009

वह जूता बनाने वाला उस प्राध्यापक से श्रेष्ठ है............




एक मोची,


जो कम से कम समय में


बढ़िया और मजबूत


जूतों की जोड़ी


तैयार कर सकता है,


अपने व्यवसाय में


वह


उस प्राध्यापक की अपेक्षा


कहीं अधिक श्रेष्ठ है


जो दिन भर


थोथी बकवास


ही करता रहता है



- स्वामी विवेकानंद



Monday, November 23, 2009

कड़ी मेहनत करके आदमी इतना नहीं थकता.........




सुबह से शाम तक


कड़ी मेहनत करके


आदमी इतना नहीं थकता,


जितना


क्रोध या चिन्ता से


एक घंटे में थक जाता है



-जेम्स एलन



Saturday, November 21, 2009

हमें उसका बुरा नहीं मानना चाहिए........




यदि लोग हमारे बारे में


कुछ ऊटपटांग बातें करते हैं


तो हमें उसका बुरा नहीं मानना चाहिए..


जिस प्रकार


गिरजाघर की मीनार


अपने इर्द गिर्द चीलों के


चीखने का ख्याल नहीं करती.......



-इलियट



Friday, November 20, 2009

भोजन के बाद तुरन्त जल पीना विषकारक है




जल का गुण -


अपच अवस्था में जल पीना


औषधि है,


भोजन पच जाने पर (3 घंटे बाद)


जल पीना बल दायक है


भोजन करते समय मध्य -मध्य में


पीना अमृत के समान गुण वाला है


किन्तु भोजन के बाद


तुरन्त जल पीना विषकारक है



-चाणक्य



Thursday, November 19, 2009

ये लोग आकाश से दूध दूहना चाह रहे हैं




यदि सेवक सुख चाहे,


भिखारी मान चाहे,


व्यसनी धन चाहे,


व्यभिचारी शुभ गति चाहे


और


लोभी यश चाहे


तो समझ लो कि ये लोग


आकाश से दूध दूहना चाह रहे हैं




-वाल्मीकि




Wednesday, November 18, 2009

धर्म सम्बन्धी झगड़े सदैव खोखली और असार बातों पर ही होते हैं




धर्म को लेकर कभी विवाद करो


धर्म सम्बन्धी


सारे विवाद और झगड़े


केवल यही दर्शाते हैं


कि वहां आध्यात्मिकता का अभाव है



धर्म सम्बन्धी झगड़े


सदैव


खोखली और असार


बातों


पर ही होते हैं



- स्वामी विवेकानंद



Tuesday, November 17, 2009

दुर्जन और कांटे के लिए दो ही उपाय हैं




दुर्जन
और कांटे के लिए


दो ही उपाय हैं


या तो जूते से मुंह उसका झाड़ना


या त्याग कर,


बच कर निकल जाना




-चाणक्य



Monday, November 16, 2009

कालकूट विष भी गले का आभूषण बन गया




अनुचित वस्तु


बड़ों को उचित हो जाती है


और


उचित वस्तु


नीचों को दूषित हो जाती है


जैसे


अमृत से राहू की मृत्यु हुई


और


विषपान से भगवान् शंकर का नाम


नीलकंठ पड़ा


अर्थात


कालकूट विष भी


गले का आभूषण बन गया



____________चाणक्य



नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कहा मछली से सीखो....




यदि



स्वदेशाभिमान सीखना है


तो


मछली से सीखो ...


जो


स्वदेश (पानी ) के लिए


तड़प - तड़प कर


अपनी जान दे देती है



- नेताजी सुभाष चंद्र बोस




Saturday, November 14, 2009

दो को याद रखना चाहिए - दो को भूल जाना चाहिए



चार
हज़ार वचनों में से


मैंने केवल चार गुर चुने हैं


जिनमें से


दो को हमेशा याद रखना चाहिए -


यानी मालिक और मौत


और दो को भूल जाना चाहिए -


यानी भलाई


जो तू किसी के साथ करे


और बुराई


जो कोई तेरे साथ करे


-लुकमान


Friday, November 13, 2009

कन्फ़्यूशियस ने कहा........



सभ्यता


तब तब खतरे में पड़ जाती है

जब जब

उन लोगों को

अधिकार देने का आदेश मिल जाता है,

जिन्होंने

कभी आदेश नहीं माना



-कन्फ़्यूशियस



Thursday, November 12, 2009

ये भी धोखे में है और वो भी धोखे में है



जो
यह समझता है कि


दुनिया के बिना काम चला लेगा,


वह अपने आप को धोखा देता है,


लेकिन जो ये समझता है कि


दुनिया का काम


उसके बिना नहीं चल सकता


वह और भी बड़े धोखे में है



-रोशे


Wednesday, November 11, 2009

अच्छी पुस्तकों का स्वागत नरक में भी - तिलक





मैं नरक में भी


अच्छी पुस्तकों का स्वागत करूँगा


क्योंकि उनमें


वह शक्ति है


कि वे जहाँ होंगी,


वहीं स्वर्ग बना देंगी



___लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक



Tuesday, November 10, 2009

उत्तम लोग काम को बीच में नहीं छोड़ते...- ..भर्तृहरि




तुच्छ प्राणी

विघ्न के भय से

कोई कार्य आरम्भ ही नहीं करते,

मध्यम श्रेणी के लोग

कार्य को आरम्भ करके विघ्न पड़ने पर,

बीच में ही छोड़ देते हैं ,

किन्तु उत्तम लोग

बारम्बार विघ्न पड़ने पर भी

आरम्भ किए हुए काम को

बीच में नहीं छोड़ते.....


___________भर्तृहरि





पुस्तकों का मूल्य

जो लोग

पन्ने गिन कर

पुस्तकों का मूल्य देते हैं,

उनका मन

पुस्तक के नीचे दब कर ही

कब्र में पहुँच जाता है


-गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर

Monday, November 9, 2009

अपने शरीर का पालन करने के लिए किसी भी जीव को व्यर्थ मत मारिये...



सब प्राणियों का खून एक है,

चाहे बकरी हो,

गाय हो या

अपनी सन्तान हो

पीर पैगम्बर और औलिया -

सब एक एक दिन मर जायेंगे

इसलिए अपने शरीर का पालन करने के लिए

किसी भी जीव को व्यर्थ मत मारिये...



-श्री गुरु नानकदेव


श्रेष्ठ पुरूष केवल मान की ही कामना करते हैं -चाणक्य

निम्न श्रेणी के लोग केवल धन की कामना करते हैं,

मध्य श्रेणी के लोग धन और मान दोनों की कामना करते हैं

परन्तु
श्रेष्ठ पुरूष केवल मान की ही कामना करते हैं

मान ही श्रेष्ठ पुरुषों का धन है


-चाणक्य

Sunday, November 8, 2009

बुद्धिजीवी को संघर्ष करना पड़ता है.............



निकम्मे
लोग

गुटबंदियों और हेराफेरी से

सामयिक ख्याति

शीघ्र प्राप्त कर लेते हैं


इसके विपरीत

बुद्धिजीवी को

ख्याति प्राप्त करने के लिए

संघर्ष करना पड़ता है


-
इलाचन्द्र जोशी


पतन्जलि ने कहा.............

जब कोई व्यक्ति

अहिंसा की कसौटी पर खरा उतर जाता है,

तो दूसरे व्यक्ति

स्वयं ही उसके पास कर

वैरभाव भूल जाते हैं


-पतन्जलि

ज्ञान घमण्डी हो जाए तो अज्ञान से ज़्यादा ख़तरनाक.....



ज्ञान
जब इतना घमण्डी बन जाए कि वह रो सके,

इतना गम्भीर बन जाए कि वह हँस सके

और इतना आत्म केन्द्रित बन जाए कि

अपने सिवा और किसी की चिन्ता करे ,

तो वह ज्ञान

अज्ञान से भी ज़्यादा ख़तरनाक होता है



- खलील जिब्रान