हास्यकवि अलबेला खत्री द्वारा रचित व संकलित भजन,स्तुतियाँ तथा महापुरूषों के अमृत वचन
महान विचार!किन्तु मस्तिष्क को शान्त रखना बहुत मुश्किल होता है।
आभार इस सदवाणी को प्रस्तुत करने का.
गुरू नानक देव जी को नमन!
मस्तिष्क का शांत होना याने कि निर्विचार होना, क्या ये हम जैसों के लिए संभव है?
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महान विचार!
किन्तु मस्तिष्क को शान्त रखना बहुत मुश्किल होता है।
आभार इस सदवाणी को प्रस्तुत करने का.
गुरू नानक देव जी को नमन!
मस्तिष्क का शांत होना याने कि निर्विचार होना, क्या ये हम जैसों के लिए संभव है?
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