Tuesday, November 30, 2010

धर्म और साइंस पर पोप की दो टूक बात





जो ये कहते हैं कि साइंस और धर्म का विरोध है

वे या तो साइंस से वह कहलवाते हैं

जो उसने कभी नहीं कहा

या धर्म से

वह कहलवाते हैं

जो उसने कभी नहीं सिखाया


-पोप


swarnim gujarat,surat,vigyan,dharm,hasyakavi albela khatri ka hasyahungama,hindi sammelan, diwana, mastana













Monday, November 29, 2010

अरविन्दो का अनमोल विचार




अदृश्य नियति के विधान से

हमारी सबसे बड़ी बाधा ही

हमारा सबसे बड़ा योग बन जाती है


-अरविन्दो घोष


hasyakavi albela khatri, vichar arvindo ghosh ke, hasya kavi sammelan, hindi poetry, sahitya












Wednesday, November 24, 2010

जिसकी रचना इतनी सुन्दर, वो कितना सुन्दर होगा........




हमारी भूल ये है कि हम रचना के पीछे दौड़ते हैं, रचना को अपना बनाना

चाहते हैं ये जानते हुए भी कि ये रचना आज तक किसी एक की हुई है

और ही आगे भी होने वाली हैये धन, दौलत, मकान,दूकान,महल,माल,

रूप-लावण्य, माता-पिता, भाई-बन्धु ...सब तरह की रचना उस रचयिता

का खेल मात्र हैज़रा सोचिये ..यदि ये रचना किसी की हो पाती तो क्या

हमारे हिस्से में आती ? हमारे पूर्वज क्या अपने साथ नहीं ले गये होते

गठरी बांध के ?


संतमत कहता है रचना के पीछे नहीं, रचयिता के पीछे समय लगाओ

........वो रचयिता जो सदा से हमारा है और जिसे हम से कोई जुदा नहीं

कर सकतावो रचनाकार सबके पास है और सदा सदा से है



कबीर साहेब फरमाते हैं :

सब घट मेरा साईंयां, सूनी सेज कोय..........


लिहाज़ा हमें चाहिए कि हम रचना के मोह जाल से निकलें और रचनाकार

के आँचल में विश्राम पायें


-अलबेला खत्री



Friday, November 19, 2010

अचरज



विपत्ति सह लेने में अचरज नहीं,

अचरज है वैसी हालत में भी शान्त रहने में

- जुन्नुन


प्रस्तुति : अलबेला खत्री



Monday, November 1, 2010

मैं फिर से अमीर हो जाता हूँ




कभी-कभी मैं द्रव्यहीन हो जाता हूँ,

यहाँ तक कि मेरी हीनता बहुत बढ़ जाती है

परन्तु अपनी मर्यादा को स्थिर रखते ही

मैं फिर से अमीर हो जाता हूँ


-इब्न-अब्दुल-इल-असदी