धर्म और अध्यात्म के आलोक स्तम्भ
हास्यकवि अलबेला खत्री द्वारा रचित व संकलित भजन,स्तुतियाँ तथा महापुरूषों के अमृत वचन
Friday, November 19, 2010
अचरज
विपत्ति
सह
लेने
में
अचरज
नहीं
,
अचरज
है
वैसी
हालत
में
भी
शान्त
रहने
में
-
जुन्नुन
प्रस्तुति
:
अलबेला
खत्री
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment