धर्म और अध्यात्म के आलोक स्तम्भ
हास्यकवि अलबेला खत्री द्वारा रचित व संकलित भजन,स्तुतियाँ तथा महापुरूषों के अमृत वचन
Monday, November 1, 2010
मैं फिर से अमीर हो जाता हूँ
कभी
-
कभी
मैं
द्रव्य
हीन
हो
जाता
हूँ
,
यहाँ
तक
कि
मेरी
हीनता
बहुत
बढ़
जाती
है
।
परन्तु
अपनी
मर्यादा
को
स्थिर
रखते
ही
मैं
फिर
से
अमीर
हो
जाता
हूँ
-
इब्न
-
अब्दुल
-
इल
-
असदी
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