धर्म और अध्यात्म के आलोक स्तम्भ
हास्यकवि अलबेला खत्री द्वारा रचित व संकलित भजन,स्तुतियाँ तथा महापुरूषों के अमृत वचन
Monday, December 6, 2010
मैं विश्व के महान तत्त्व का एक अंश हूँ
मनुष्य
तब तक अपनी पूर्ण शक्ति को प्राप्त नहीं कर सकता
जब तक
वह इस बात को मन, वचन और शरीर से न समझ ले
कि मैं विश्व के महान तत्त्व का एक अंश हूँ
-
स्वेट
मार्डेन
Sunday, December 5, 2010
संस्कृति
बड़ी
से
बड़ी
बात
को
सरल
तरीके
से
कहना
उच्च
संस्कृति
का
प्रमाण
है
-
एमर्सन
Saturday, December 4, 2010
अनमोल वचन ईसा का
ख़ुश
किस्मत
हैं
वे
जिनका
दिल
साफ़
है
,
क्योंकि
उन्हें
परमात्मा
के
दर्शन
ज़रूर
होंगे
।
-
ईसा
Friday, December 3, 2010
सुख लीजिये, सुखी रहिये...
वह
सुखी
है
जिसकी
परिस्थितियां
उसके
मिजाज़
के
अनुकूल
है
;
लेकिन
वह
और
भी
आनन्द
में
है
जो
अपने
मिजाज़
को
हर
परिस्थिति
के
अनुकूल
बना
लेता
है
-
ह्यूम
Thursday, December 2, 2010
ये शाश्वत सिद्धान्त है धर्म का
जिसकी संगति में -
फिर वह व्यक्ति हो, समाज हो या संस्था हो -
अपूर्णता मालूम हो
वहां पूर्णता लाने का प्रयत्न करना अपना धर्म है ।
गुणों की अपेक्षा दोष बढ़ते हों तो
उसका त्याग-असहयोग-धर्म है ।
यह शाश्वत सिद्धान्त है
-
महात्मा
गांधी
Tuesday, November 30, 2010
धर्म और साइंस पर पोप की दो टूक बात
जो ये कहते हैं कि साइंस और धर्म का विरोध है
वे या तो साइंस से वह कहलवाते हैं
जो उसने कभी नहीं कहा
या धर्म से
वह कहलवाते हैं
जो उसने कभी नहीं सिखाया
-पोप
Monday, November 29, 2010
अरविन्दो का अनमोल विचार
अदृश्य नियति के विधान से
हमारी सबसे बड़ी बाधा ही
हमारा सबसे बड़ा योग बन जाती है
-
अरविन्दो
घोष
Wednesday, November 24, 2010
जिसकी रचना इतनी सुन्दर, वो कितना सुन्दर होगा........
हमारी
भूल
ये
है
कि
हम
रचना
के
पीछे
दौड़ते
हैं
,
रचना
को
अपना
बनाना
चाहते
हैं
ये
जानते
हुए
भी
कि
ये
रचना
आज
तक
न
किसी
एक
की
हुई
है
और
न
ही
आगे
भी
होने
वाली
है
।
ये
धन
,
दौलत
,
मकान
,
दूकान
,
महल
,
माल
,
रूप
-
लावण्य
,
माता
-
पिता
,
भाई
-
बन्धु
...
सब
तरह
की
रचना
उस
रचयिता
का
खेल
मात्र
है
।
ज़रा
सोचिये
..
यदि
ये
रचना
किसी
की
हो
पाती
तो
क्या
हमारे
हिस्से
में
आती
?
हमारे
पूर्वज
क्या
अपने
साथ
नहीं
ले
गये
होते
गठरी
बांध
के
?
संतमत
कहता
है
रचना
के
पीछे
नहीं
,
रचयिता
के
पीछे
समय
लगाओ
........
वो
रचयिता
जो
सदा
से
हमारा
है
और
जिसे
हम
से
कोई
जुदा
नहीं
कर
सकता
।
वो
रचनाकार
सबके
पास
है
और
सदा
सदा
से
है
कबीर
साहेब
फरमाते
हैं
:
सब
घट
मेरा
साईंयां
,
सूनी
सेज
न
कोय
..........
लिहाज़ा
हमें
चाहिए
कि
हम
रचना
के
मोह
जाल
से
निकलें
और
रचनाकार
के
आँचल
में
विश्राम
पायें
-
अलबेला
खत्री
Friday, November 19, 2010
अचरज
विपत्ति
सह
लेने
में
अचरज
नहीं
,
अचरज
है
वैसी
हालत
में
भी
शान्त
रहने
में
-
जुन्नुन
प्रस्तुति
:
अलबेला
खत्री
Monday, November 1, 2010
मैं फिर से अमीर हो जाता हूँ
कभी
-
कभी
मैं
द्रव्य
हीन
हो
जाता
हूँ
,
यहाँ
तक
कि
मेरी
हीनता
बहुत
बढ़
जाती
है
।
परन्तु
अपनी
मर्यादा
को
स्थिर
रखते
ही
मैं
फिर
से
अमीर
हो
जाता
हूँ
-
इब्न
-
अब्दुल
-
इल
-
असदी
Thursday, October 28, 2010
त्याग सूखी रोटी खाने में नहीं, आरज़ू को जीतने में है
त्याग
यह
नहीं
है
कि
मोटे
और
सख्त
कपड़े
पहन
लिए
जायें
और
सूखी
रोटी
खायी
जाये
।
त्याग
तो
यह
है
कि
अपनी
आरजू
,
इच्छा
और
ख्वाहिश
को
जीता
जाये
।
-
सूफ़ियान
सौरी
Wednesday, August 11, 2010
प्रत्येक के जीवन में इतना दुःख और विषाद
अगर
हम
अपने
शत्रुओं
की
गुप्त
आत्म
-
कहानियां
पढ़ें
तो
हमें
प्रत्येक
के
जीवन
में
इतना
दुःख
और
विषाद
भरा
हुआ
मिलेगा
कि
फिर
हमारे
मन
में
उनके
लिए
ज़रा
भी
शत्रुभाव
नहीं
रहेगा
उलटे
करुणा
प्रस्फुटित
होगी
-
अज्ञात
महापुरूष
Monday, August 2, 2010
मैं अपनी स्वाभाविक करुणा से मनुष्य को उसकी इच्छा से भी विशेष देता हूँ
जब
सत्कर्मी
को
असह्य
कष्ट
हो
,
तो
समझना
चाहिए
कि
ईश्वर
शीघ्र
ही
उस
पर
कृपा
करने
वाला
है
-
अज्ञात
महा
पुरूष
ईश्वर
ने
कहा
है
-
मैं
अपनी
स्वाभाविक
करुणा
से
मनुष्य
को
उसकी
इच्छा
से
भी
विशेष
देता
हूँ
-
सादिक
ईश्वर
की
कृपा
के
बिना
मनुष्य
के
प्रयत्न
से
कुछ
नहीं
मिल
सकता
-
बायजीद
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Friday, July 23, 2010
भूख भले ही मिट जाये, मगर अन्त में उनसे मौत ही मिलती है
हमारी
ख़ुशियाँ
वास्तव
में
कितनी
कम
हैं
,
अफ़सोस
है
कि
उनकी
खातिर
हम
अपने
चिरन्तन
कल्याण
को
भी
खतरे
में
डाल
देते
हैं
-
बेली
पापमय
और
फरेब
से
प्राप्त
की
गई
ख़ुशियाँ
ज़हरीली
रोटियों
की
तरह
हैं
,
उनसे
उस
वक्त
भूख
भले
ही
मिट
जाये
,
मगर
अन्त
में
उनसे
मौत
ही
मिलती
है
-
तायरन
एडवर्ड्स
Wednesday, July 21, 2010
क्योंकि जो उसे पा लेता है वह खामोश हो जाता है
जब
तक
कोई
शख्स
'
अल्लाह
हो
!
अल्लाह
हो
!
हे
भगवान
!
हे
भगवान
!'
चिल्लाता
है
,
निश्चय
जानो
,
उसे
ईश्वर
नहीं
मिला
,
क्योंकि
जो
उसे
पा
लेता
है
वह
खामोश
हो
जाता
है
-
स्वामी
रामकृष्ण
परमहंस
Tuesday, July 20, 2010
तीर पत्थर की विशाल शिला को नहीं वेध सकता
कोई
सांसारिक
भय
ज्ञानी
मनुष्य
के
दिल
को
नहीं
दहला
सकता
,
चाहे
वह
उसके
कितने
ही
निकट
पहुँच
जाये
।
जैसे
कोई
तीर
पत्थर
की
विशाल
शिला
को
नहीं
वेध
सकता
।
-
योग
वशिष्ठ
Monday, July 19, 2010
ऐसा आदमी ही चिड़िया की तरह ऊपर आकाश में उड़ जाता है
जो
मनुष्य
मशहूर
नहीं
है
,
वह
सुखी
है
।
बढ़िया
कुरता
और
कम्बल
नहीं
पहनता
तो
अच्छा
करता
है
।
ऐसा
आदमी
ही
चिड़िया
की
तरह
ऊपर
आकाश
में
उड़
जाता
है
और
इस
संसार
के
उजाड़
खण्ड
का
उल्लू
नहीं
बनता
।
-
शब्सतरी
Sunday, July 18, 2010
संयम अतिभोग से रोकता है
संयम
और
परिश्रम
इन्सान
के
दो
सर्वोत्तम
चिकित्सक
हैं
।
परिश्रम
से
भूख
तेज़
होती
है
और
संयम
अतिभोग
से
रोकता
है
।
-
रूसो
डूबने वाले के प्रति सहानुभूति का मतलब उसके साथ डूबना नहीं है
उन पत्थर के पशुओं पर लाहनत है,
जो दूसरों के दुःख को कोमलता से अपनाकर द्रवीभूत नहीं हो जाते
-हिल
डूबने वाले के प्रति सहानुभूति का मतलब उसके साथ डूबना नहीं है
बल्कि ख़ुद तैर कर उसको बचने का प्रयत्न करना है
-विनोबा भावे
Saturday, July 17, 2010
ईश्वर की ज्योति पापी को नहीं मिला करती
मैंने गुरू की सेवा में निवेदन किया
कि मेरी स्मरण-शक्ति बिगड़ गई, इस पर उन्होंने मुझे
यह उपदेश दिया कि पापों को छोड़ दे;
क्योंकि विद्या ईश्वर की ज्योति है
और ईश्वर की ज्योति पापी को नहीं मिला करती ।
-
इमाम
शाफ़ई
Friday, July 16, 2010
मैं विश्व के महान तत्व का एक अंश हूँ
जितने
दुःख
,
जितनी
विपत्तियाँ
हमें
प्राप्त
होती
हैं
,
उनका
कारण
यही
है
कि
अनन्त
ऐश्वर्य
युक्त
सर्वशक्तिमान
ईश्वर
की
ओर
से
हम
भिन्नता
का
भाव
रखते
हैं
मनुष्य
तब
तक
अपनी
शक्ति
को
ठीक
ठीक
प्राप्त
नहीं
कर
सकता
जब
तक
कि
वह
इस
बात
को
मन
,
वचन
और
शरीर
से
न
समझ
ले
कि
मैं
विश्व
के
महान
तत्व
का
एक
अंश
हूँ
-
स्वेट
मार्डेन
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Thursday, July 15, 2010
वह तुम्हें ईश्वर के सिंहासन तक पहुंचा देगी .
एक चीज़ को हमेशा नज़र के सामने रखो - सत्य को ;
अगर तुमने यह किया,
तो चाहे वह तुम्हें लोगों की रायों से अलग ले जाती लगे,
परन्तु लाज़िमी तौर से वह तुम्हें ईश्वर के सिंहासन तक पहुंचा देगी .
-होरेस मैन
Tuesday, July 13, 2010
छोटे से छोटे जानवर को भी मरने से कैसे बचाया जाये
नेक
रास्ता
कौन
सा
है
?
वही
जिसमें
इस
बात
का
ख्याल
रखा
जाता
है
कि
छोटे
से
छोटे
जानवर
को
भी
मरने
से
कैसे
बचाया
जाये
।
-
तिरुवल्लुवर
Monday, July 12, 2010
गुण मनुष्य के वश में हैं ; प्रतिभा के वश में स्वयं मनुष्य होता है
वे सत्य के सर्वोत्तम प्रेमी हैं जो अपने प्रति ईमानदार हैं
और जिसका वे स्वप्न देखते हैं,
उसे कर दिखाने का साहस रखते हैं
गुण मनुष्य के वश में हैं ; प्रतिभा के वश में स्वयं मनुष्य होता है
-लॉवेल
Sunday, July 11, 2010
बदला लेने से मनुष्य अपने शत्रु के समान हो जाता है
जो
बदला
लेने
की
सोचता
है
,
वह
अपने
ही
घाव
को
हरा
रखता
है
जो
अब
तक
कभी
का
भर
गया
होता
।
बदला
लेने
से
मनुष्य
अपने
शत्रु
के
समान
हो
जाता
है
,
न
लेने
से
उस
से
श्रेष्ठ
हो
जाता
है
-
बेकन
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Saturday, July 10, 2010
झूठ झूठ में कितना अन्तर .....................
दो
अर्थों
वाले
शब्द
लेकर
किसी
विशेष
शब्द
पर
ज़ोर
दे
कर
या
आँख
के
इशारे
से
भी
झूठ
बोला
जाता
है
।
इस
प्रकार
का
झूठ
स्पष्ट
शब्दों
में
बोले
गये
झूठ
से
कई
गुना
बुरा
है
।
-
रस्किन
Friday, July 9, 2010
भीतर से तो वह सदा ईश्वर से मिलता रहता है
साधु
पुरूष
का
लक्षण
यह
है
कि
वह
जिस
किसी
से
भी
मिलता
है
,
बाहर
से
ही
मिलता
है
।
भीतर
से
तो
वह
सदा
ईश्वर
से
मिलता
रहता
है
।
-
अज्ञात
महा
पुरूष
Wednesday, July 7, 2010
किसी पक्षी का एक पंख के सहारे उड़ना नितांत असम्भव है
स्त्रियों
की
अवस्था
में
सुधार
न
होने
तक
विश्व
के
कल्याण
का
कोई
मार्ग
नहीं
।
किसी
पक्षी
का
एक
पंख
के
सहारे
उड़ना
नितांत
असम्भव
है
-
स्वामी
विवेकानन्द
मनुष्य
का
अनुमान
कभी
भी
उसकी
त्रुटियों
से
नहीं
लगाना
चाहिए
;
त्रुटियाँ
तो
मानव
की
सामान्य
दुर्बलताएं
हैं
,
महान
सदगुण
ही
मनुष्य
के
अपने
होते
हैं
-
स्वामी
विवेकानन्द
Tuesday, July 6, 2010
ऐसा जिस स्त्री को प्रतीत होता है वह स्त्री धन्य है !
परमेश्वर
का
दुनिया
के
प्रति
प्रेम
ही
माता
रूप
में
प्रकट
हुआ
है
,
ऐसा
जिसे
प्रतीत
होता
है
वह
पुरूष
धन्य
है
!
परमेश्वर
का
पितृत्व
ही
पुरूष
रूप
में
प्रकट
हुआ
है
ऐसा
जिस
स्त्री
को
प्रतीत
होता
है
वह
स्त्री
धन्य
है
!
और
माता
-
पिता
केवल
परमेश्वर
स्वरूप
ही
हैं
,
ऐसा
जिन्हें
प्रतीत
होता
है
वे
बच्चे
भी
धन्य
हैं
।
-
स्वामी
विवेकानन्द
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Monday, July 5, 2010
वह सचमुच ब्रह्म हो जाता है
जो सोचता है कि मैं जीव हूँ, वह जीव ही रहता है ;
जो अपने को ब्रह्म मानता है वह सचमुच ब्रह्म हो जाता है -
जो जैसा सोचता है वह वैसा ही बन जाता है .
- रामकृष्ण परमहंस
तुम जैसे विचारों की दुनिया में विचरते हो
उसमे तुम कभी न कभी अपने जीवन को मूर्त्तिमान देखोगे .
- अज्ञात महापुरूष
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Sunday, July 4, 2010
क्या यह सोचना पागलपन नहीं है
बिलाशक ऐसे बेशुमार आदमी हैं जो अन्यायी, बेईमान, धोखेबाज़,
जफ़ाकार, फ़रेबी, झूठे और विश्वासघाती बन कर धनवान हुए हैं .
क्या यह सोचना पागलपन नहीं है कि ऐसे आदमी सुखी हो सकते हैं ?
क्या वे इस दौलत का अत्यल्पांश भी आनन्द से उपयोग कर सकते हैं ?
क्या उनका अन्तरात्मा उन्हें रात-दिन
झिड़की, पीड़ा, संताप और यंत्रणा नहीं देता रहता होगा ?
-अज्ञात महापुरूष
अपने अनुभव बिना सच मन लेना श्रद्धा नहीं है
श्रद्धा का अर्थ है आत्मविश्वास
और आत्मविश्वास का अर्थ है ईश्वर पर विश्वास
- महात्मा गांधी
श्रद्धा के मानी अन्धविश्वास नहीं है .
किसी ग्रन्थ में कुछ लिखा हुआ या किसी आदमी का कुछ कहा हुआ
अपने अनुभव बिना सच मन लेना श्रद्धा नहीं है
- स्वामी विवेकानन्द
Friday, July 2, 2010
वे बोलते ज़्यादा से ज़्यादा हैं
वाक्-शक्ति नि:सन्देह एक नियामत है .
यह अन्य नियामतों का अंश नहीं,
बल्कि स्वयमेव एक निराली नियामत है .
- तिरुवल्लुवर
जिन्हें कहना कम से कम होता है
वे बोलते ज़्यादा से ज़्यादा हैं
-प्रायर
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Thursday, July 1, 2010
यही अपना पुरूषार्थ और यही अपना स्वराज्य है
हर
आदमी
एक
ही
निश्चित
मार्ग
को
अंगीकार
करने
के
बजाय
ख़ुद
के
स्वाभाव
अनुसार
स्वतंत्र
रीति
से
नया
मार्ग
निकाल
कर
पुरुषोत्तम
हो
सके
तभी
यह
कहा
जा
सकता
है
कि
उसने
सच्चा
पुरूषार्थ
किया
।
ईश्वर
में
अपने
को
तदगत
करना
व
स्वयं
उसको
आत्मगत
करके
उसे
सर्वत्र
अनुभव
करना
यही
अपना
पुरूषार्थ
और
यही
अपना
स्वराज्य
है
।
-
अरविन्द
घोष
Wednesday, June 30, 2010
तेरी नज़र दूसरी किसी वस्तु को नहीं देखती
यदि
तू
ईश्वर
के
प्रेम
में
पागल
होता
तो
वजू
नहीं
करता
,
ज्ञानी
होता
तो
दूसरे
की
स्त्री
पर
नज़र
नहीं
डालता
और
जो
ईश्वर
-
दर्शी
होता
तो
ईश्वर
छोड़
कर
तेरी
नज़र
दूसरी
किसी
वस्तु
को
नहीं
देखती
।
-
अज्ञात
महापुरुष
Monday, June 28, 2010
क्योंकि बहाना सुरक्षित झूठ है
बहाना झूठ से भी बदतर
और भयंकरतर चीज है
क्योंकि बहाना सुरक्षित झूठ है ।
- पोप
जैसे जिन घरों में सामग्री बहुत भरी रहती है
उनमे चूहे भरे हो सकते हैं,
उसी तरह जो लोग बहुत खाते हैं
वे रोगों से भरे होते हैं ।
डायोजिनीज़
ज़्यादा खाने वालों के लिए
उनका चौका उनका मन्दिर है,
रसोइया उनका पुरोहित,
थाली उनकी बलिवेदी
और पेट उनका परमात्मा है ।
बक
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Monday, June 21, 2010
तो मैं हूँ ही किसलिए ?
अगर
मैं
अपने
लिए
नहीं
हूँ
,
तो
मेरे
लिए
कौन
होगा
?
और
अगर
मैं
सिर्फ़
अपने
लिए
हूँ
,
तो
मैं
हूँ
ही
किसलिए
?
-
अज्ञात
महापुरुष
मैं
कौन
हूँ
?
ईश्वर
का
दिया
खाने
वाला
और
शैतान
का
हुक्म
बजाने
वाला
।
-
मलिक
दिनार
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Sunday, June 20, 2010
सात असम्भव बातें.............
कौवे
में
पवित्रता
,
जुआरी
में
सत्य
,
सर्प
में
सहन
शीलता
,
स्त्री
में
कामशान्ति
,
नामर्द
में
धीरज
,
शराबी
में
तत्त्व
चिन्ता
और
राजा
में
मैत्री
किसने
देखी
या
सुनी
है
?
-
पंचतंत्र
Saturday, June 19, 2010
दीपक की भांति अन्तःकरण भी प्रत्यक्ष करता है
जिस
प्रकार
दीपक
दूसरी
वस्तुओं
को
प्रकाशित
करता
है
और
अपने
स्वरूप
को
भी
प्रकाशित
करता
है
,
उसी
प्रकार
अन्तः
करण
दूसरी
वस्तुओं
को
प्रत्यक्ष
करता
और
अपने
को
भी
प्रत्यक्ष
करता
है
।
-
सम्पूर्णानंद
Friday, June 18, 2010
जीव को व्यर्थ मत मारिये
सब
प्राणियों
का
खून
एक
है
,
चाहे
वह
बकरी
हो
,
गाय
हो
या
अपनी
सन्तान
।
पीर
पैगम्बर
और
औलिया
-
सब
एक
न
एक
दिन
मर
जायेंगे
।
इसलिए
अपने
शरीर
का
पालन
करने
के
लिए
जीव
को
व्यर्थ
मत
मारिये
।
-
श्री
गुरू
नानकदेव
जी
Wednesday, June 16, 2010
सत्य को जानिये...............
सत्य
पर
अनेक
विद्वानों
ने
अपने
विचार
कहे
हैं
देखिये
इस
लिंक
पर
http://albelakhari।blogspot।com/2010/06/blog-post_17.html
Saturday, June 12, 2010
आज़ादी जिसका नाम है उसमे यह सब शामिल है -
आज़ादी
जिसका
नाम
है
उसमे
यह
सब
शामिल
है
-
मिलने
-
जुलने
की
आज़ादी
,
रुपये
-
पैसे
की
आज़ादी
,
घर
-
गृहस्थी
की
आज़ादी
,
सरकार
बनाने
की
आज़ादी
,
सोचने
-
विचारने
की
आज़ादी
और
आत्मिक
आज़ादी
।
एक
भी
न
हो
,
इन
में
से
तो
आज़ादी
,
आज़ादी
नहीं
,
ग़ुलामी
है
।
-
महात्मा
भगवानदीन
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Thursday, June 10, 2010
जैसे अर्ध-जागृत बालक अपनी माँ को देखता है
जब
तक
कामिनी
और
कंचन
का
मोह
नहीं
छूट
जाता
,
ईश्वर
के
दर्शन
नहीं
हो
सकते
।
ईश्वर
के
दर्शन
तब
होते
हैं
जब
मन
शान्त
हो
जाता
है
।
-
रामकृष्ण
परमहंस
मैंने
तुझे
उसी
तरह
देखा
है
,
जिस
तरह
कि
अर्ध
-
जागृत
बालक
प्रातः
काल
के
धुंधलेपन
में
अपनी
माँ
को
देखता
है
और
थोड़ा
सा
मुस्कुराता
है
,
फिर
सो
जाता
है
।
-
रवीन्द्रनाथ
टैगोर
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Wednesday, June 2, 2010
संतोष ही इन्सान का बेहतरीन खाना-खज़ाना है
सांप
हवा
खाकर
ज़िन्दा
रहते
हैं
तब
भी
दुर्बल
नहीं
होते
,
जंगली
हाथी
सूखी
घास
खाकर
जीते
हैं
मगर
बलवान
होते
हैं
,
साधु
लोग
कन्द
-
मूल
फल
खाकर
अपना
समय
गुज़ारते
हैं
परन्तु
तेजस्वी
होते
हैं
।
अर्थात
संतोष
ही
इन्सान
का
बेहतरीन
खाना
-
खज़ाना
है
।
-
अज्ञात
महापुरुष
Friday, May 28, 2010
लक्ष्मी किन को छोड़ देती है ? इन पाँचों को........
मैले
कपड़े
पहनने
वालों
को
,
गन्दे
दाँत
वालों
को
,
अधिक
भोजन
करने
वालों
को
,
निष्ठुर
बोलने
वालों
को
और
सूर्योदय
के
बाद
सोने
वालों
को
लक्ष्मी
छोड़
देती
है
,
चाहे
वह
विष्णु
ही
क्यों
न
हो
।
-
अज्ञात
Thursday, May 27, 2010
तो तुझे इन्सान नहीं कहा जा सकता
अगर
तू
दूसरों
की
तकलीफ़
नहीं
समझता
तो
तुझे
इन्सान
नहीं
कहा
जा
सकता
-
शेख
सादी
दूसरों
को
सताने
के
बराबर
कोई
नीचता
नहीं
है
-
रामायण
Tuesday, May 25, 2010
पहले तो अकेला न था, लेकिन तूने आकर अकेला कर दिया
ईश्वर ने
इस संसार में जिसे अकेला बनाया है,
धन-वैभव नहीं दिया है,
सुख में प्रसन्न होने वाला और दुःख में गले लगा कर
रोने वाला साथी नहीं दिया है,
संसार के शब्दों में जिसे उसने 'दुखिया' बनाया है,
उसके जीवन में
उसने एक महान अभिप्राय भर दिया है ।
-
रामकृष्ण
परमहंस
एक साधू से किसी ने पूछा
तू अकेला क्यों बैठा है ?
साधू ने जवाब दिया कि पहले तो अकेला न था,
मालिक ध्यान में साथ था
लेकिन अब तूने आकर अकेला कर दिया ।
-
अज्ञात
सन्त
पुरूष
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Monday, May 24, 2010
यदि वयस्क लोग उपदेशों पर स्वयं अमल करें
यदि
वयस्क
लोग
उन
उपदेशों
पर
स्वयं
अमल
करें
जो
वे
बच्चों
को
देते
हैं
,
तो
दुनिया
अगले
सोमवार
को
ही
स्वर्ग
तुल्य
हो
जाये
।
आर
-
किंग
Sunday, May 23, 2010
मनुष्यों से प्रेम करना अहिंसा नहीं है, यह तो व्यवहार है
द्वेष का कारण हुए बगैर कोई द्वेष नहीं करता ;
इसीलिए किसी ने द्वेष का कारण जुटाया हो तो भी
उससे द्वेष न करके, प्रेम करें ।
उस पर दया करके सेवा करना ही अहिंसा है ।
मनुष्यों से प्रेम करना अहिंसा नहीं है, यह तो व्यवहार है
-
महात्मा
गांधी
Saturday, May 22, 2010
यही अन्तर था दोनों में
दुर्योधन
को
यज्ञ
में
सब
ब्राह्मण
दुष्ट
ही
दुष्ट
दिखाई
दिए
और
धर्मराज
को
सब
भले
ही
भले
,
यही
अंतर
था
दोनों
में
...........
-
हरि
भाऊ
उपाध्याय
Thursday, May 20, 2010
दुनिया सबसे अच्छी रंगशाला है
बाहरी
एकान्त
वास्तविक
एकान्त
नहीं
।
मन
में
चिन्ता
और
शंका
का
प्रवेश
न
हो
,
वही
सच्चा
एकान्त
है
-
आविस
एकान्त
अच्छी
पाठशाला
है
लेकिन
दुनिया
सबसे
अच्छी
रंगशाला
है
-
जे
०
टेलर
एकान्त
ज्ञानी
के
लिए
स्वर्ग
है
और
मूर्ख
के
लिए
क़ैद
खाना
-
शम्स
तबरेज़
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यही कहा जा सकता है कि उसने बहुतों की बलि दे दी
हम
उपदेश
सुनते
हैं
मन
भर
,
देते
हैं
टन
भर
पर
ग्रहण
करते
हैं
कण
भर
-
अलजर
जो
आदमी
बिना
आप
पूरा
हुए
दूसरों
को
उपदेश
देता
है
वह
बहुतों
का
गला
काटता
है
;
पर
जो
आप
पूरा
होकर
दूसरों
को
शिक्षा
नहीं
देता
उसके
बारे
में
भी
यही
कहा
जा
सकता
है
कि
उसने
बहुतों
की
बलि
दे
दी
-
जापान
Tuesday, May 18, 2010
वरना वह उसका मतलब न समझेगा............
जो
कुछ
कहना
है
उसको
जहाँ
तक
हो
सके
,
संक्षेप
में
कहो
;
वरना
पढ़ने
वाला
उसको
छोड़ता
चला
जाएगा
;
और
जहाँ
तक
हो
सके
सादा
लफ़्ज़ों
में
कहो
वरना
वह
उसका
मतलब
न
समझेगा
-
रस्किन
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Monday, May 17, 2010
नेक काम भी गुप्त रह कर ही कारगर होते हैं
शहद
की
मक्खियाँ
सिर्फ़
अँधेरे
में
काम
करती
हैं
;
विचार
सिर्फ़
खामोशी
में
काम
करते
हैं
;
नेक
काम
भी
गुप्त
रह
कर
ही
कारगर
होते
हैं
।
अपने
दायें
हाथ
को
मालूम
न
पड़ने
दे
कि
तेरा
बायाँ
हाथ
क्या
करता
है
।
-
कार्लाइल
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Sunday, May 16, 2010
वे लोग जिनके पास सिवाय तेरे सब कुछ है.....
मेरे
प्रभो
!
वे
लोग
जिनके
पास
सिवाय
तेरे
सब
कुछ
है
,
उन
लोगों
पर
हँसते
हैं
जिनके
पास
सिवाय
तेरे
कुछ
नहीं
है
-
गुरुदेव
रवीन्द्र
नाथ
टैगोर
Wednesday, May 5, 2010
सत्य की बलि नहीं दी जा सकती
सत्य के लिए
सब कुछ त्यागा जा सकता है
लेकिन सत्य को
किसी भी चीज के लिए
नहीं छोड़ा जा सकता ।
सत्य की बलि
नहीं दी जा सकती
- स्वामी विवेका
नन्द
Monday, March 8, 2010
मनुष्य क्या है ?
प्रत्येक
मनुष्य
एक
बर्बाद
परमात्मा
है
-
एमरसन
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Tuesday, February 23, 2010
उन्हें रात में नींद नहीं आती
जिनका
हृदय
वैर
या
द्वेष
की
आग
में
जलता
है
उन्हें
रात
में
नींद
नहीं
आती
-
महात्मा
विदुर
Tuesday, February 16, 2010
गर्व करना सबसे बड़ा अज्ञान
अपनी
विद्वता
पर
गर्व
करना
सबसे
बड़ा
अज्ञान
है
-
महावीर
स्वामी
Monday, February 8, 2010
सत्य ज़्यादा कीमती है
समय कीमती है
पर सत्य उससे भी ज़्यादा कीमती है
- डिजरायली
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Saturday, February 6, 2010
कहानी की तरह, ज़िन्दगी में भी यह देखा जाये
नेकी का बदला न देना क्रूरता है
और उसका
बदी में जवाब देना पिशाचता है ।
कहानी की तरह,
ज़िन्दगी में भी यह देखा जाये
कि वह
कितनी अच्छी है,
न कि कितनी लम्बी है
- सेनेका
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Friday, February 5, 2010
तब उसका कुछ मूल्य हो जाता है
जब
व्यक्ति
में
अन्तर्युद्ध
शुरू
हो
जाता
है
,
तब
उसका
कुछ
मूल्य
हो
जाता
है
-
ब्राउनिंग
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Thursday, February 4, 2010
उदार चित्त वाले
"
यह
मेरा
है,
यह
दूसरे
का"
ऐसा
संकीर्ण
ह्रदय
वाले
समझते
हैं
उदार
चित्त
वाले
तो
सारे
संसार
को
अपने
कुटुम्ब
सा
समझते
हैं
-
नारायण
पण्डित
Wednesday, February 3, 2010
गुरू नानकदेव जी ने कहा ..........
यदि
तू
मस्तिष्क
को
शान्त
रख
सकता
है
तो
तू
विश्व
विजयी
होगा
-
गुरुनानकदेव
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