ये शाश्वत सिद्धान्त है धर्म का
जिसकी संगति में -
फिर वह व्यक्ति हो, समाज हो या संस्था हो -
अपूर्णता मालूम हो
वहां पूर्णता लाने का प्रयत्न करना अपना धर्म है ।
गुणों की अपेक्षा दोष बढ़ते हों तो
उसका त्याग-असहयोग-धर्म है ।
यह शाश्वत सिद्धान्त है
-महात्मा गांधी

1 comment:
साधु वचन
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