धर्म और अध्यात्म के आलोक स्तम्भ
हास्यकवि अलबेला खत्री द्वारा रचित व संकलित भजन,स्तुतियाँ तथा महापुरूषों के अमृत वचन
Friday, December 3, 2010
सुख लीजिये, सुखी रहिये...
वह
सुखी
है
जिसकी
परिस्थितियां
उसके
मिजाज़
के
अनुकूल
है
;
लेकिन
वह
और
भी
आनन्द
में
है
जो
अपने
मिजाज़
को
हर
परिस्थिति
के
अनुकूल
बना
लेता
है
-
ह्यूम
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment