Sunday, July 4, 2010

क्या यह सोचना पागलपन नहीं है



बिलाशक  ऐसे बेशुमार  आदमी हैं जो अन्यायी, बेईमान, धोखेबाज़, 

जफ़ाकार, फ़रेबी,  झूठे और विश्वासघाती बन कर धनवान हुए हैं .  

क्या यह सोचना पागलपन नहीं है कि ऐसे आदमी सुखी हो सकते हैं ?  

क्या वे इस दौलत का अत्यल्पांश भी आनन्द से उपयोग कर सकते हैं ? 

क्या उनका अन्तरात्मा  उन्हें रात-दिन  

झिड़की, पीड़ा, संताप और यंत्रणा  नहीं देता  रहता होगा ?


-अज्ञात महापुरूष 


 

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