जो सोचता है कि मैं जीव हूँ, वह जीव ही रहता है ;
जो अपने को ब्रह्म मानता है वह सचमुच ब्रह्म हो जाता है -
जो जैसा सोचता है वह वैसा ही बन जाता है .
- रामकृष्ण परमहंस
तुम जैसे विचारों की दुनिया में विचरते हो
उसमे तुम कभी न कभी अपने जीवन को मूर्त्तिमान देखोगे .
- अज्ञात महापुरूष
www.albelakhatri.com
No comments:
Post a Comment