Monday, July 5, 2010

वह सचमुच ब्रह्म हो जाता है

जो सोचता है कि मैं जीव हूँ, वह जीव ही रहता है ; 

जो अपने को ब्रह्म मानता है वह सचमुच ब्रह्म हो जाता है  - 

जो जैसा सोचता है  वह वैसा ही बन जाता है . 

- रामकृष्ण परमहंस 



तुम जैसे विचारों  की दुनिया में विचरते हो 

उसमे तुम कभी न कभी  अपने जीवन को  मूर्त्तिमान देखोगे . 

- अज्ञात महापुरूष









www.albelakhatri.com

No comments: