धर्म और अध्यात्म के आलोक स्तम्भ
हास्यकवि अलबेला खत्री द्वारा रचित व संकलित भजन,स्तुतियाँ तथा महापुरूषों के अमृत वचन
Saturday, June 19, 2010
दीपक की भांति अन्तःकरण भी प्रत्यक्ष करता है
जिस
प्रकार
दीपक
दूसरी
वस्तुओं
को
प्रकाशित
करता
है
और
अपने
स्वरूप
को
भी
प्रकाशित
करता
है
,
उसी
प्रकार
अन्तः
करण
दूसरी
वस्तुओं
को
प्रत्यक्ष
करता
और
अपने
को
भी
प्रत्यक्ष
करता
है
।
-
सम्पूर्णानंद
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