Thursday, February 4, 2010

उदार चित्त वाले



"
यह मेरा है, यह दूसरे का"


ऐसा संकीर्ण ह्रदय वाले समझते हैं


उदार चित्त वाले तो


सारे संसार को


अपने
कुटुम्ब सा समझते हैं



- नारायण पण्डित


1 comment:

Udan Tashtari said...

सत्य वचन!