Monday, February 1, 2010

तो प्रार्थना और तपस्या छोड़ देनी चाहिए



जब हवा चलने लगे तो पंखा छोड़ देना चाहिए

जब ईश्वर की कृपा-दृष्टि होने लगे

तो प्रार्थना और तपस्या

छोड़ देनी चाहिए


- रामकृष्ण परमहंस


2 comments:

विनोद कुमार पांडेय said...

जब हवा चले तब पंखे की क्या ज़रूरत..सही बात..अलबेला जी..

Anonymous said...

krupa patra ke layak banana aasaan nahi hai!