Saturday, January 30, 2010

प्रेम के लिए द्वार खुले हैं




जो दूसरों पर

उपकार जताने का

इच्छुक है,

वह द्वार खटखटाता है


जिसके हृदय में

प्रेम है,

उसके लिए द्वार खुले हैं


- रवीन्द्रनाथ टैगोर



3 comments:

Ambarish said...

sahi farmaya gurudev ne..

Unknown said...

महान विचारों को प्रस्तुत कर के आप सराहनीय कार्य कर रहे हैं!

Anonymous said...

bahut hi kam log dwar khule rakhte hai:(