संतोष ही इन्सान का बेहतरीन खाना-खज़ाना है
सांप हवा खाकर ज़िन्दा रहते हैं
तब भी दुर्बल नहीं होते,
जंगली हाथी सूखी घास खाकर जीते हैं
मगर बलवान होते हैं,
साधु लोग कन्द-मूल फल खाकर अपना समय गुज़ारते हैं
परन्तु तेजस्वी होते हैं ।
अर्थात
संतोष ही इन्सान का बेहतरीन खाना-खज़ाना है ।
- अज्ञात महापुरुष
6 comments:
अज्ञात महापुरूष को नमन्
अति सुन्दर विचार!
लाख टके की बात कही है ।
लेकिन संतोष होता बहुत कम को है ।
हज़रत मुहम्मद साहब ने कहा है कि अल्गिना गिनन-नफ़स अर्थात सबसे बड़ा धन है संतोष .
आपकी क़लम को बोसा दिया जाना चाहिए .
बहुत ही उपयोगी और संग्रह करने योग्य विचार!
खत्री साहब...
इस अज्ञात महापुरुष को शत शत प्रणाम...
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