Monday, January 11, 2010

गुरू के आसन पर परमात्मा आसीन है



जो मनुष्य


परमात्मा का ज्ञान प्राप्त कर लेता है,


वह


परमात्मा का ही स्वरूप बन जाता है


इस प्रकार सिद्ध है कि


गुरू के आसन पर मनुष्य नहीं,


स्वयं परमात्मा आसीन है



- नारायण पण्डित

4 comments:

Unknown said...

सुन्दर विचार!

गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काके लागूँ पाय।
बलिहारी गुरु आपकी गोविन्द दियो बताय॥

संगीता पुरी said...

गुरू ब्रह्मा गुरू विष्‍णु गुरूदेवो महेश्‍वर: .. गुरू साक्षात परं ब्रह्म तस्‍मै श्री गुरूवै नम: !!

राजीव तनेजा said...

सत्य वचन...गुरु के बिना हम कुछ भी नहीं

Anonymous said...

सत्य वचन, सब संतों कि जय!