Sunday, January 17, 2010

तुलसी वाणी



तुलसी काया खेत है, मनसा भये किसान

पाप-पुण्य दोउ बीज हैं, बुवै सो लुने निदान


-गोस्वामी तुलसीदास



2 comments:

Anonymous said...

चंचल मन को समझाना बहुत ही मुश्किल है

Urmi said...

सठिक बात है!