Wednesday, November 11, 2009

अच्छी पुस्तकों का स्वागत नरक में भी - तिलक





मैं नरक में भी


अच्छी पुस्तकों का स्वागत करूँगा


क्योंकि उनमें


वह शक्ति है


कि वे जहाँ होंगी,


वहीं स्वर्ग बना देंगी



___लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक



2 comments:

Urmi said...

बहुत ही सुंदर सोच के साथ सही बात कह दिया है आपने ! अच्छी पुस्तकों का स्वागत कहीं पर हो सकता है!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आदर्श तो गुम हैं।
वाक्य बहुत अच्छा है।