Friday, July 16, 2010

मैं विश्व के महान तत्व का एक अंश हूँ







जितने दुःख, जितनी विपत्तियाँ हमें प्राप्त होती हैं,

उनका कारण यही है कि अनन्त ऐश्वर्य युक्त सर्वशक्तिमान ईश्वर

की ओर से हम भिन्नता का भाव रखते हैं


मनुष्य तब तक अपनी शक्ति को ठीक ठीक प्राप्त नहीं कर सकता

जब तक कि वह इस बात को मन, वचन और शरीर से समझ ले

कि मैं विश्व के महान तत्व का एक अंश हूँ


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स्वेट मार्डेन












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4 comments:

Udan Tashtari said...

फिर ओम पुरी और आपको पहचाना...चित्र के सथ नाम और परिचय जरुर दिया करिये.

Ravi Kant Sharma said...

यही सत्य है, हम ईश्वर से अपना वास्तविक संबन्ध भूलने के कारण ही सुख-दुख के चक्कर में फँस गये है। जो इस संबन्ध को पुन: जोड़ लेता है वह आनन्द को प्राप्त हो जाता है।

ZEAL said...

chitra mein upasthit mahan aatmaon se milkar prasannta hui.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

उत्तम विचार!
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आपको ते पहचान ही गये!