Tuesday, November 24, 2009

वह जूता बनाने वाला उस प्राध्यापक से श्रेष्ठ है............




एक मोची,


जो कम से कम समय में


बढ़िया और मजबूत


जूतों की जोड़ी


तैयार कर सकता है,


अपने व्यवसाय में


वह


उस प्राध्यापक की अपेक्षा


कहीं अधिक श्रेष्ठ है


जो दिन भर


थोथी बकवास


ही करता रहता है



- स्वामी विवेकानंद



7 comments:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

bilkul sahi kaha aapne....

sateek vichaar........

निर्मला कपिला said...

बिलकुल सही कहा है\ धन्यवाद्

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

इसी लिए वे विवेकानंद थे !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

मगर अब तो मोचियों का काम
अन्य लोगों ने छीन लिया है।

नगरों में "गुप्ता बूट हाउस" और
"शर्मा बूट हाउस" अधिक नजर आते हैं।

Unknown said...

सुन्दर विचारों की श्रृंखला में एक और कड़ी!

Urmi said...

हमेशा की तरह बहुत बढ़िया और सठिक लिखा है आपने !

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

सत्य वचन्!!