हास्यकवि अलबेला खत्री द्वारा रचित व संकलित भजन,स्तुतियाँ तथा महापुरूषों के अमृत वचन
बहुत सुन्दर धन्यवाद्
अति सुन्दर!इसे पढ़ कर रहीम जी का दोहा याद आ रहा हैःआब गई आदर गया नैनन गया सनेह।ये तीनों तब ही गये जबहिं कहा कछु देय॥
कर्म प्रधान विश्व रचि राखा!
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बहुत सुन्दर धन्यवाद्
अति सुन्दर!
इसे पढ़ कर रहीम जी का दोहा याद आ रहा हैः
आब गई आदर गया नैनन गया सनेह।
ये तीनों तब ही गये जबहिं कहा कछु देय॥
कर्म प्रधान विश्व रचि राखा!
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